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पूज्य बहिनश्रीकी अमृतवाणी

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1 पुज्य गुरुदेवश्री तथा पुज्य बहेनश्रीनुं मांगलिक FLV FLV (10.14 MB)
2 टाइटल FLV FLV (5.03 MB)
3 पुज्य गुरुदेवश्रीनी ९५मी जन्मजयंती प्रसंगे प्रसादी आपवा क्रुपा करशो FLV FLV (Unknown)
4 पुज्य गुरुदेवश्रीए स्वनुभूतिनुं खुब ज माहात्म बताव्युं छे तो ते स्वानुभूति केम थाय? FLV FLV (Unknown)
5 आवुं समजाय छ्तां काम न थाय तेमां तत्व-रूचिनी खामी के वैराग्यनी खामी? FLV FLV (Unknown)
6 आत्मामां ज संतोष थाय तेवी प्रतीति जीवने केवी रीते थाय? FLV FLV (Unknown)
7 जेम उपादान माटे निमित्त अकिचित्कर छे तेम सामान्य पण विशेष माटे अकिचित्कर छे? FLV FLV (Unknown)
8 'हुं ज्ञायक छुं' 'हुं ज्ञायक छुं'...एम नक्की करिए छीए, ज्ञायकमां प्रयाग करवा जइऐ छीऐ FLV FLV (Unknown)
9 आगम व्यवहार अने अध्यात्म व्यवहारमां शुं तफावत छे? FLV FLV (Unknown)
10 द्रव्य सामान्यने प्रसिद्ध करनार द्रव्य विशेष छे, FLV FLV (Unknown)
11 सामान्य तरफ लइ जवा माटे आटलो तो व्यवहार राखीऐ? FLV FLV (Unknown)
12 समयसार क्ळश १३६मां आवे छे के "सम्यग्द्रष्टिने ज्ञान अने वैराग्य शक्तितनी संधि नियमथी होय छे" FLV FLV (Unknown)
13 पुज्य बहेनश्री चंपाबेननी ७२मी जन्मजयंती FLV FLV (Unknown)
14 समयसार त्रिजा स्लोकमां भगवान अम्रुतचंद्राचार्यदेवे कह्युं छे के आ समयसारशास्त्रनी टीकाथी मारी परम विशुद्धि थाओ. FLV FLV (Unknown)
15 साधकने अंतरमां आलंबंनभुत तत्व शुं छे? शुं जेनुं अनुभवन होय तेनुं ज वेदन होय छे? FLV FLV (Unknown)
16 आप अने पुज्य गुरुदेवश्री वारंवार कहो छे के करवानुं तो तारे ज छे.. FLV FLV (Unknown)
17 समयसार गाथा २०६मां आवे छे के ऐटलो ज सत्य आत्मा छे जेटलुं आ ज्ञान छे. FLV FLV (Unknown)
18 ज्ञानी अने अज्ञानीमां ऐवो तो शो तफावत छे के ज्ञानीना बधा भावो वेपार,लडाइ वगेरे करवा छतां पण ज्ञानमय कहेवाय छे FLV FLV (Unknown)
19 पुज्य गुरुदेवश्रीऐ जे सम्यग्दर्शननो खुब खुब महिमा गायो छे FLV FLV (Unknown)
20 प्रवचनसार गाथा ३९/४७मां 'प्रत्यक्ष ज्ञाननो महिमा" FLV FLV (Unknown)
21 समयसार आस्त्र अधिकारना कळ्श नें.१२२ मां कह्युं छे.. "तजे शुद्ध-नय बंध छे अने शुद्धनय ग्रहणथी मोक्ष छे'' FLV FLV (Unknown)
22 समयसार कळ्श नें.१०४ मां आवे छे .."सर्व कर्मोनो निषेध करवामां आवतां निष्क्रर्म अवस्थावाळा मुनिओ FLV FLV (Unknown)
23 (समयसार कळश १४४)मां आवे छे के हुं अचित्य शकितवाळो स्वभाव छुं FLV FLV (Unknown)
24 रूचिका पोषण ओर तत्वका घुंटळ" FLV FLV (Unknown)
25 आपके शरणमे आये हें तो पुरुषार्थकी कमी भी दुर हो जाएगी ऐसा हमे विश्वास है FLV FLV (Unknown)
26 सम्यग्दर्शनके पहले आत्मप्राप्तिक तलब कैसी है? FLV FLV (Unknown)
27 अज्ञानी पासे स्वरूप साधवा माटे वर्तमानमां कोइ साधन छे? FLV FLV (Unknown)
28 ज्ञान स्व-परप्रकाशक है तो सम्यग्दर्शन पानेके पहले ज्ञान अपनी तरफ क्यों नही आता? FLV FLV (Unknown)
29 समयसार कलश २५१मां आवे छे..अज्ञानी ने ज्ञेयाकारो नथी जोइता FLV FLV (Unknown)
30 पुज्य गुरुदेवश्री निश्चयनयने सदा मुख्य फरमावता हता अने आगममां क्यारेक निश्चयने मुख्य अने क्यारेक व्यवहार मुख्य दर्शावे छे. FLV FLV (Unknown)
31 द्रष्टिमां आत्मा रहे ऐटले शु? आखो दिवस त्यां ज उपयोग रहे? FLV FLV (Unknown)
32 आवुं (निश्चय अने व्यवहारनुं यथार्थ स्वरूप )समजवाथी आत्मानी तीखी रूचि कइ रीते थाय FLV FLV (Unknown)
33 (निश्चय अने व्यवहारनुं यथार्थ स्वरूप जांणतो) आमाम साथे साथे उपकारी सत्पुरूषनो महिमा आवी जाय छे? FLV FLV (Unknown)
34 आगममां ठेर ठेर सम्यग्दर्शनना लक्षण तरीके सात तत्वना यथार्थ श्रद्धानने ज महत्व आप्युं छे FLV FLV (Unknown)
35 ज्ञानीनी दशा..ज्ञानीना सहज पुरुषार्थ विषे पुज्य बहेनश्रीना सहज उदगार FLV FLV (Unknown)
36 जेम ज्ञान अने चारित्र कहेता कोंइ तेनो आछो पातळो भाव पकडाय छे FLV FLV (Unknown)
37 ज्ञानीने सन्यग्दर्शनमां अंतरंग निमित्त कहेवाय छे तेमां शो आशय छे? FLV FLV (Unknown)
38 भेदज्ञान जे थाय छे ते सामान्य राग परिणितिथी थाय छे ? के उढतां विकल्पोथी थाय छे? FLV FLV (Unknown)
39 ज्ञायकधारानी शरूआत छे ते प्रयत्नपुर्वकना विकल्पथी ज थाय छे? FLV FLV (Unknown)
40 'भेदज्ञान त्यां सुधी भाववुं के ज्यां सुधी ज्ञान ज्ञानमां स्थित न थाय' ते समजावशो FLV FLV (Unknown)
41 रागादि भावो होवा छतां ते वखते आत्मा शुद्ध केम होइ शके? अने राअग अने आत्मानी भिन्नता कइ रीते समजी शकाय? FLV FLV (Unknown)
42 सम्यग्द्रष्टिने निरंतर ज्ञानचेतना होय छे, जेथी तेना बधा परिणाम ज्ञानमय होय छे FLV FLV (Unknown)
43 नित्य-अनित्य, सत्-असत् वगेरे विरुद्ध धर्मो ऐक साथे रीते रहे छे FLV FLV (Unknown)
44 निर्विकल्प अनुभूति वखते ज्ञानगुण परिणमन तो करतो होय छे FLV FLV (Unknown)
45 सन्यगद्रष्टि जीवने ज्ञायकनो दोर हाथमां आवी गयाअ बाद उपयोग बहारमां जाअय तो सम्यागदर्शनने कांइ हानि थाय छे? FLV FLV (Unknown)
46 छ द्रव्य, पंचास्तिकाय, नव तत्व, हेय-ज्ञेय-उपादेय, द्रव्य-गुण-पर्याय, उत्पाद-व्यय-ध्रौव्य वगेरे FLV FLV (Unknown)
47 द्रष्टि त्रिकाणी द्रव्य सिवाय कोइने स्वीकारती नथी, द्रष्टि पर्याय छे FLV FLV (Unknown)
48 सम्यग्दर्शनमां जे रीते भेदज्ञाननी धारा वर्ते छे शुं ते ज मार्गे केवळज्ञान थाय छे? FLV FLV (Unknown)
49 वचनाम्रुतमां फरमावे छे के "शुद्ध द्रव्य स्वभावनी द्रष्टि करीने पर्यायनी अशुद्धताने ख्यालमां पुरुषार्थ कर." FLV FLV (Unknown)
50 जीवनुं ज्ञान लक्षण जाणवाथी लक्ष्य ऐवो आत्मा प्रसिद्ध थाय छे FLV FLV (Unknown)
51 जीवने निरंतर साक्षीभावे वर्तमानमां परना अकर्तापणानो सिद्धांत ज मुख्यपणे काम करे छे FLV FLV (Unknown)
52 "अंजनचोरे शेठना वचनने प्रणाण मानी सिद्धि प्राप्त करी" FLV FLV (Unknown)
53 ऐकवार अनुभूति प्राप्त थया पछी शुं जीव धारे त्यारे निर्विकल्प थइ शके खरो? FLV FLV (Unknown)
54 परमात्म तत्व विषे ध्यानावलीओ होवानुं शुद्धनय कहेतो नथी तेनो शो अर्थ छे? FLV FLV (Unknown)
55 स्वरूपनुं ज्ञान अने श्रद्धान शुरूआतथी साथे साथे चाले छे के ऐमां कोइ क्रम छे? FLV FLV (Unknown)
56 सम्यक्श्रद्धान अने ज्ञान बन्ने साथे साथे छले छे ते तो बराबर छे, FLV FLV (Unknown)
57 पुज्य गुरुदेवश्रीनो उपदेश जिज्ञासा अने भावनाथी सांभळ्यो के "हुं एक ज्ञायक छु FLV FLV (Unknown)
58 आ काळमां जीवो अंति स्थुळ बुद्धिवाळा छे, आथी तेओ कइ रीते राग अने आत्मानुं भेदज्ञान करी शके? FLV FLV (Unknown)
59 बंध मोक्षनुं कारण अने बंध मोक्षना परिणाम सम्यग्दर्शननो विषयभूत आत्मा शुन्य छे FLV FLV (Unknown)
60 पर्यायने अंतरमां वाळवी अने गुणगुणीना भेदने तिरोधान करवानो जे उपदेश छे FLV FLV (Unknown)
61 शुद्धनयनो विषय अंशरूप होवा छ्तां ते परिपूर्ण छे? FLV FLV (Unknown)
62 ज्ञानी पुरुषो, अविरत सम्यगद्ष्टि जीवो आखो दिवस शुं करता हशे? FLV FLV (Unknown)
63 अनुभूतिनी शोभा वधारे छे के आत्मद्रव्यनी शोभा वधारे छे? FLV FLV (Unknown)
64 आत्मा परमात्मास्वरूप-सिद्धस्वरूप छे ऐम पुज्य गुरुदेवश्री फरमावता हता FLV FLV (Unknown)
65 पुज्य गुरुदेवश्रीना वचनाम्रुतमा आवे छे के "हुं ज परमात्मा छु" ऐम नक्की कर,निर्णय कर, अनुभव कर तेमां शुं कहेवा मागे छे? FLV FLV (Unknown)
66 आ जगतमां वस्तु छे ते पोताना स्वभावमात्र छे. आत्मा ज्ञाननो कर्ता अने विभावदशामां अज्ञान-राग-द्वेषनो कर्ता छे FLV FLV (Unknown)
67 आत्मा अचिंत्य शकितवाळो स्वयं देव छे.जे क्षणे जागे ते क्षणे आनंदस्वरूप जागती ज्योति अनुभवमां आवे FLV FLV (Unknown)
68 दरेक जीव परनात्मस्वरुप छे. पण अमारी पासे वर्तमानमां तो मति-श्रुतज्ञान प्रगटपणे छे FLV FLV (Unknown)
69 आश्रयभूत तत्त्वनुं अवलंबन लेतां सम्यग्दर्शनथी मांडिने केवळज्ञान सुधीनी पर्यायो प्रगट थाय छे FLV FLV (Unknown)
70 ज्ञान अने रागने लक्षण भेदे सर्वथा जुदा पाडो तो ज सर्वज्ञ स्वभावी शुद्ध जीव लक्षमां आवी शके FLV FLV (Unknown)
71 राग अने ज्ञान जुदा छे ऐटलुं जाणे तो ते पूरतुं थइ रहे FLV FLV (Unknown)
72 सम्यग्दर्शन-चारित्र-सर्वज्ञदेव-त्रिकाळी स्वभाव आ चार विषे.. FLV FLV (Unknown)
73 सम्यग्दर्शन धर्मनुं मुळ छे के चारित्र ते खरेखर धर्म छे? FLV FLV (Unknown)
74 जीवने सुख जोइऐ छे, तो चैतन्यनी मुळ ऋद्धि सुख छे के ज्ञान छे? FLV FLV (Unknown)
75 सम्यगज्ञानीने निरंतर ज्ञानधारा होय छे.उपयोग बहारमां होइ त्यारे पण भेदज्ञाननी धारा चालु छे FLV FLV (Unknown)
76 अनंतकाळथी जे सम्यग्दर्शन पाम्या नहि, ते पामवा माटे तो अत्यारे पुरुषार्थ क्यांथी काढवो? FLV FLV (Unknown)
77 शुद्धात्मानुं अवलंबन अभिप्रायमां थाइ छे? ज्ञानमां रहे छे? FLV FLV (Unknown)
78 ऐकवार अनुभूति प्राप्त थया पछी नय,निक्षेप,प्रमाणनी कांइ जरुर खरी? FLV FLV (Unknown)
79 श्रीमदजीऐ कह्युं छे के "सत्संग विना ध्यान तरंगरुप थइ जाय छे" FLV FLV (Unknown)
80 आजनो दिवस महामंगळ छे, आजे आपे शुद्धात्मस्वरुपी भगवान आत्माना साक्षात् दर्शन कर्या FLV FLV (Unknown)
81 वचनाम्रुतमां आवे छे के ज्ञानीने द्रष्टि साथे वर्ततुं ज्ञान बधो विवेक करे छे. FLV FLV (Unknown)
82 मुमुक्षुनुं ह्र्दय भिजायेलुं हय छे, ते विषे कहेशो. FLV FLV (Unknown)
83 'वचनाम्रुत वीत्रागनां परम शांतरस मूल,ओषध जे भवरोगना कायरने प्रतिकूळ' FLV FLV (Unknown)
84 मुनि, मुनिपणानी मर्यादा ओळंगीने विशेष बहार जता नथी. FLV FLV (Unknown)
85 नियमसार कळश ७२मां आवे छे के मुनिराज सम्यग्द्रष्टिने वंदन करे छे FLV FLV (Unknown)
86 ज्ञानीने उपयोग बहार होय अने द्रष्टि अंतरमां टकी रहे छे FLV FLV (Unknown)
87 रागादिथी भिन्न चिदानंद स्वभावनुं भान अने अनुभव थयो तेनी धर्मीने खबर पडे के नही. FLV FLV (Unknown)
88 उपयोग एक समयनो होय छे,उपयोग एक समयमां एकने जाणे तो द्रव्यने जाणे ते समये पर्यायने केवी रीते जाणे? FLV FLV (Unknown)
89 द्रव्यमां पर्याय नथी तो पछी पर्यायने केम गौण करवामां आवे छे? FLV FLV (Unknown)
90 सम्यक्त्त्वसन्मुख जीवने केवा प्रकारनुं तत्त्व चिंतवन होय छे? FLV FLV (Unknown)
91 धर्मीने ज्यारे स्वमां उपयोग होय त्यारे धर्म होय. पण उपयोग परमां होय त्यारे धर्म होय के नही? FLV FLV (Unknown)
92 (ज्ञानी ने) परिणतिमां आनंदनुं वेदन आवतुं हशे? FLV FLV (Unknown)
93 स्वानुभूति थतां जीवने केवो साक्षात्कार थाय? आवी स्वानुभूति प्राप्त करवा जीवे शुं करवुं? FLV FLV (Unknown)
94 आत्मानुभूतिनुं वर्णन वचनमां आवी शके तेवुं नथी छतां पण साक्षात्कार विशे थोडो घणो प्रसाद आपशो? FLV FLV (Unknown)
95 "कोइपण कार्यमां बहु सोच करवा योग्य नथी'-श्रीमदजीना वाक्यो.. FLV FLV (Unknown)
96 द्रश्यने अद्रश्य कर अने अद्रश्य ने द्रश्य कर तेवा ज्ञानी पुरुष..." FLV FLV (Unknown)
97 सनातन धर्म ऐटले शुं? FLV FLV (Unknown)
98 साचुं सुख शामां छे? FLV FLV (Unknown)
99 ज्ञानीनी कथन पद्धतिनी विविक्षा विषे.. FLV FLV (Unknown)
100 पृथक्त्व तथा अन्यत्वमां शो तफावत छे? FLV FLV (Unknown)
101 ज्ञानीमां भक्तिमां जोडाय त्यारे समभाव होय? FLV FLV (Unknown)
102 एकधारो प्रयास करे तो प्राप्त थाय ज.. FLV FLV (Unknown)
103 ज्ञानमां जे जाणवानो प्रकार छे तेनो निषेध करवामां आवे तो एमां लाभ शो थाय? नुकशान शुं थाय? FLV FLV (Unknown)
104 निर्विकल्प वखते,पुरुषार्थगुणनी प्रधानताथी पूणेपणे जाणे के अधूरारूपे जाणे? FLV FLV (Unknown)
105 ज्ञाननां पडखां तो ख्यालमां आवे छे पण द्रष्टि शुं छे ते ख्यालमां आवतुं नथी? FLV FLV (Unknown)
106 पुज्य बहेनश्रीनी सहज वाणी (प्रतिज्ञा विषे..) FLV FLV (Unknown)
107 अनुभव पहेलां सविकल्प निर्णयनुं साचुं स्वरूप शुं छे? FLV FLV (Unknown)
108 रुचि केम पकटाय? FLV FLV (Unknown)
109 अनुभव पहेलां यथार्थ निर्णय आववो जोइए? FLV FLV (Unknown)
110 ज्ञाननय अने क्रियानयनी मैत्रीनुं स्वरूप शुम छे? FLV FLV (Unknown)
111 पुज्य गुरुदेवश्रीनां परिवर्तन विषे. FLV FLV (Unknown)
112 'जो इच्छो परमार्थ तो, करो सत्य पुरुषार्थ'...परनी पर्यायने फेरवी शकाय नही FLV FLV (Unknown)
113 ज्ञाताधारा प्रगट करवा माटे शुं करवुं? FLV FLV (Unknown)
114 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं.१७मां आवे छेः 'अनंत गुण्स्वरुप आत्मा,तेना एकरुप स्वरुपने द्रष्टिमां लइ तेने एकने ज ध्येय बनावी FLV
115 ज्ञायकने द्रष्टिनो विषय बनाव्या पछी जे बाह्य पदार्थो,संयोगी पदार्थो नैमित्तिक पदार्थो के नैमित्तिकभावो थया करे छे FLV FLV (Unknown)
116 तेनाथी (विभावथी) छुटकारो ज्ञानीना वचनोथी थाय के पोताने करवो पडे? FLV FLV (Unknown)
117 पुज्य गुरुदेवश्रीनां टेप प्रवचनो विषे.. FLV FLV (Unknown)
118 पुज्य गुरुदेवश्रीने सांभळ्या न होय तो टेप सांभळवाथी कोइने सम्यग्दर्शन थइ शके? FLV FLV (Unknown)
119 श्रीमदजी अने गुरुदेवश्रीने निसर्गज के अधिगमज सम्यग्दर्शन हतुं? FLV FLV (Unknown)
120 आ बधानी (द्रव्य-पर्यायनी) भिन्नता कार्य (भाव) अपेक्षाए छे के क्षेत्र संबंधी..(अपेक्षाए) FLV FLV (Unknown)
121 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं. ७मां आवे छे केः 'आखा सिद्धांतनो सारमां सार तो बहिर्मुखता छोडी अंतर्मुख थवुं ते छे.' FLV FLV (Unknown)
122 वैराग्य संबोधन FLV FLV (Unknown)
123 देव-गुरु-शास्त्र प्रत्ये रुचि लाववा शुं शुं करवुं जोइए? तथा 'मांगलिक' FLV FLV (Unknown)
124 ज्ञानगुण सविकल्प छे अने बाकी बधा गुणो निर्विकल्प छे, तो केवळज्ञान सविकल्प कहेवाय के केम? FLV FLV (Unknown)
125 प्रवचनसारमां आवे छे..शास्त्रनो अभ्यास करवां, छतां घणा जीवोने रुचि वहेली थाय छे FLV FLV (Unknown)
126 गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत (बोल ने. २५०)मां आवे छे के "कपडां विना दागीना शोभता नथी" FLV
127 "आत्मा सौथी अत्यंत प्रत्यक्ष छे, एवो परम पुरुषे करेलो निश्र्य पण अत्यंत प्रत्यक्ष छे" FLV FLV (Unknown)
128 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुतमां आवे छे के "रागना विकल्पथी खंडित थतो हतो FLV FLV (Unknown)
129 अंतरना अभ्यास विषे... FLV FLV (Unknown)
130 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत (बोल नं.५३)मां आवे छे के 'जेने केवळज्ञानीनो विश्र्वास थाय तेने चरेय पडखे समान अवरोध प्रतीति जोइए FLV FLV (Unknown)
131 मुनिराजो जे जंगलमां बेठा छे-बधुं छोडीने बेठा छे FLV FLV (Unknown)
132 जातिस्मरण विषे... FLV FLV (Unknown)
133 पुज्य गुरुदेवश्रीए स्वघरमां जवानुं कह्युं छे, पण ते तरफ एक मिनिट पण उपयोग जाय FLV FLV (Unknown)
134 "गंभीर तारी वाणीमां...जे ह्रदय तारुं जाणता,ते भाव तारो खेचता" ते संबंधी.. FLV FLV (Unknown)
135 आत्मामां केवळज्ञान सत्तारूपे छे अने आत्मामां केवळज्ञान शकितरुपे छे FLV FLV (Unknown)
136 श्रीमदजीमां आवे छे के "चोथा गुण्स्थान पहेलां उपदेशकपणुं होवुं न जोइए" FLV FLV (Unknown)
137 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत (बोल नं.७६) आवे छे के 'ज्ञानीनुं आंतरिक जीवन समजवा अंतरनी पात्रता जोइए; FLV FLV (Unknown)
138 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत (बोल नं.५३)मां आवे छे "पुरुषार्थ हीन थइने द्रव्यानुयोगनी वातो करे छे FLV FLV (Unknown)
139 (आत्मा) स्वभावे शुद्ध छे अने राग योग्यता प्रमाणे थया करे छे? FLV FLV (Unknown)
140 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं ४१मां आवे छे के समयसार आगमो पण आगम छे .. FLV FLV (Unknown)
141 छ मास सुधी मंद पुरुषार्थ सतत चालु रहे तेने सम्य्ग्दर्शन थाय FLV FLV (Unknown)
142 छ मास मां (सम्यग्दर्शन) न थाय तो तेने उभयाअभासी कहेवाय FLV FLV (Unknown)
143 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत्मां आवे छे,"सर्वज्ञने जेणे पोतानी पर्यायमां स्थापना तेने सर्वज्ञ थवानो निर्णय आवी गयो.' FLV FLV (Unknown)
144 जे प्रत्यक्ष सतपुरुषनी महिमा लावता नथी अने परोक्ष FLV FLV (Unknown)
145 पुज्य गुरुदेवश्रीनाम वचनामरुत(बोल नं २०)मां आवे छे 'भरत चक्रवर्ती आहाअरना समये मुनिराजना आगमननी प्रतिक्षा करता FLV FLV (Unknown)
146 पुज्य गुरुदेवश्रीनां प्रवचनमां आवे छे के"ब्रह्मदत्त अने सुभौम चक्रवर्ती होवा छताअं ते वर्तमानमां नारकी ज छे FLV FLV (Unknown)
147 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत(बोल नं ७०)मां आवे छे के "ज्ञानी अने अज्ञानीनां वचनो उपरटपके जोतां सरखा लागे FLV FLV (Unknown)
148 आत्मस्वरुपने समजवा माटे घणी वात पुज्य गुरुदेवश्रीऐ आपणी समक्ष मुकी छे. FLV FLV (Unknown)
149 आचार्य भगवान अनेक पडखेथी स्वभावनो महिमा करे छे.आपणे ते सांभळीऐ, वाचीऐ छीऐ FLV FLV (Unknown)
150 आत्मस्वरुपनो महिमा समजवा माटे आपे ज्ञान अने वैराग्य बे भेगा लिधा FLV FLV (Unknown)
151 (जीव) बहारनुं कार्य करवानो पुरुषार्थ घणा करे छे. FLV FLV (Unknown)
152 पुरुषार्थ मात्र स्वभाव सन्मुखनो करवो के पुरुषार्थमां मोहने टाळवानी पण अमारी भागे जवाबदारी खरी? FLV FLV (Unknown)
153 स्वभावने कइ रीते ओळखवो? FLV FLV (Unknown)
154 जीव एकळो पोते पोताना पुरुषार्थथी काम करे छे तेम लिइये तो पछी FLV FLV (Unknown)
155 बधी जवाबदारी जीवनी छे.पोते बधुं करवानुं छे. ऐ वात स्वीकारी लीधी छे FLV FLV (Unknown)
156 पुज्य गुरुदेवश्रीइ समजण करावी पण रुची-लीनता करवामां गुरुदेवनी मदद FLV FLV (Unknown)
157 विक्लप आवे ते वखते आवी रीते करवानी वात छे FLV FLV (Unknown)
158 विक्लपनी भुमिका वखते वच्चे जे प्रमाणमां थोडुं घणुं भावभासन जेवुं थाय FLV FLV (Unknown)
159 भावभासनमां शुं थतुं हशे? FLV FLV (Unknown)
160 भावभासननी परिणतिने ज्ञानीनी सविकल्पदशानी परिणति साथे सरखावी शकाय? FLV FLV (Unknown)
161 ज्ञानीनी निर्विकल्पदशा तथा सविकल्प परिणति बन्नेमां शुं फेर छे? FLV FLV (Unknown)
162 चोथा गुणस्थानवाळा निर्विकल्प वेदन अने पांचमावाळाना सविकल्प आनंदना वेदनमां शुं फेर? FLV FLV (Unknown)
163 'हुं चैतन्य छु' अने अन्य नथी तेम नक्की करवा छतां कार्य केम थतुं नथी? FLV FLV (Unknown)
164 श्रद्धानुं बळ आपवुं जोइए,'हु ज्ञायक ज छु' FLV FLV (Unknown)
165 निर्विकल्पता सहज छे ते खबर पडे छे, पण विकल्प सहज छे ते खबर पडती नथी? FLV FLV (Unknown)
166 प्रमाण ज्ञान कामनुं छे..? FLV FLV (Unknown)
167 सम्यग्दर्शन प्राप्त करवा माटे 'बधुं क्षळिक छे' अथवा 'आत्माना स्वभावनो महिमा लाववो, FLV FLV (Unknown)
168 (गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं २मां आवे छे) 'जिनवर ते जीव छे अने जीव छे जिनवर छे FLV FLV (Unknown)
169 (गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं ८मां आवे छे) 'निमित्तनी अपेक्षा लेवामां आवे तो बंध-मोक्ष बे पडखां पडे छे FLV FLV (Unknown)
170 (गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं ९मां आवे छे) "चामडां उतारीने..गुरुनो उपकार ओळवे ते अनंत संसारी छे. FLV FLV (Unknown)
171 'आत्मा, तेना एकरुप स्वरुपने द्रष्टिमां कए तेने एकने ध्यावी' FLV FLV (Unknown)
172 समवसरणमां जे अनेक प्राणीओ होय छे ते ज्ञान प्राप्त करे छे FLV FLV (Unknown)
173 कोइ योग्यतावाळो जीव होय-आशय ग्रहण करी शकतो होय अने ते जीव द्र्व्य-गुण-पर्यायना स्वरुपने न जाणे FLV FLV (Unknown)
174 जे ज्ञानीनी साथे आनंद न आवे ते ज्ञान ज नथी पण अज्ञान छे FLV FLV (Unknown)
175 एकला विकल्पथी तत्त्वविचार कर्या करे तो ते जीव पण सम्यक्त्व पामतो नथी FLV FLV (Unknown)
176 स्वाध्यायमंदिरनां उदघाटन विषे.. FLV FLV (Unknown)
177 भेदज्ञाननो अभ्यास करवो ते ज राग टाळवानो साचो उपाय ते विषे.. FLV FLV (Unknown)
178 रागथी हुं भिन्न छुं एम बोलवामां तथा भावभासनमां शुं अंतर रहेतुं हशे? FLV FLV (Unknown)
179 आपना समागम पछी घणा खुलासा थया त्यारे ख्याल आवे छे FLV FLV (Unknown)
180 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत(बोल नं ८८)मा आवे छे के "पंचम काळे भरतक्षेत्रे गरीब घरे जन्म्यो छो FLV FLV (Unknown)
181 आकरी प्रतिकूता वखते तथा कोइ कठोर मर्मच्छेदक वचन कहे,त्यारे देहमां स्थित परमात्मानुं ध्यान करीने FLV FLV (Unknown)
182 श्रीमदजीमां आवे छे 'सत्पुरुषमां परमेश्वर बुद्धि थवाथी सर्व प्राणीओ प्रत्ये दासत्य आवी जाय छे FLV FLV (Unknown)
183 अधमाधम अधिको पतित हुं...उगे न आत्म विचार. FLV
184 ज्ञान अने कषायनुं भेदज्ञान केवी रीते थाय? FLV FLV (Unknown)
185 तत्वनो विचारपुर्वक करेल निर्णय के मारुं सुख मारामां छे. FLV FLV (Unknown)
186 पुज्य गुरुदेवश्रीना वचनाम्रुत १५६-१५७ बोलमां शो फरक छे? एकला विक्ल्पथीना तत्त्वविचार करवाथी कंइ सम्यग्दर्शन पमातुं नथी. FLV FLV (Unknown)
187 विकल्पात्मक निर्णय कर्या होवा छतां अनुभव केम थतो नथी? FLV FLV (Unknown)
188 पुज्य गुरुदेवश्रीके प्रवचनमे आता है,'ज्ञानीको रागका बंध नहि होता है FLV FLV (Unknown)
189 रागनी पर्याय जणाय छे अने साक्षात् वेदनमां आवे छे अने जे जणातो नथी FLV FLV (Unknown)
190 (पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल न.२३६)'जेने जेनी रुचि होय छे ते तेनी वारंवार भावना भावे छे FLV FLV (Unknown)
191 आत्मा श्रद्धा अपेक्षाए त्रिकाळीने विषय करे अने ज्ञान वडे त्रिकाळीने विषय करे तेमां कांइ अंतर? FLV FLV (Unknown)
192 द्रव्य-गुण-पर्यायमां आखा ब्रह्मांडनुं तत्त्व आवी जाय छे FLV FLV (Unknown)
193 कोइ ठेकाणे एम आवे छे के विभाव उपर-उपर तरे छे.तेनो अर्थ छे? FLV FLV (Unknown)
194 दरेक द्रव्य पोताना गुण-पर्यायरुपे परिणमे छे...तेमां बे द्र्व्य वच्चेनी स्वतंत्रतानी वात आवी FLV FLV (Unknown)
195 पुज्य गुरुदेवश्री ना वचनाम्रुत मां(बोल नं. २५४)आवे छे "स्वभावना लक्षे सत्य आवे FLV FLV (Unknown)
196 कोइ जीवोने निर्णय द्रढता होय छे FLV FLV (Unknown)
197 हुं ज्ञायक छुं ए भावमाम 'हुं' अने 'ज्ञायक' बन्ने एक साथे होइ शके? FLV FLV (Unknown)
198 घणा शास्त्रोनो अभ्यास करे व्रत तप करे तो पण ते सम्यकत्वनो अधिकारी नथी FLV FLV (Unknown)
199 पहेलां ज्ञान जुदुं पडतुं न हतुं, राग ने ज्ञान बधुं भेळ्सेळपणे ख्यालमां आवतुं हतुं FLV FLV (Unknown)
200 तत्व समजवाना विचारमां जे शुभभाव सहज आवे छे FLV FLV (Unknown)
201 परवस्तुने हुं करी शकुं छुं एम जेणे मान्युं छे FLV FLV (Unknown)
202 जिज्ञासुने पण भक्तिनो भाव होय छे? FLV FLV (Unknown)
203 पुरुषार्थमां वेग मणे एवो मंत्र आपो जेथी अमे पार ऊतरी जइए. FLV FLV (Unknown)
204 'पूर्णताना लक्षे शरुआत ते ज वास्तविक शरुआत छे' FLV FLV (Unknown)
205 अध्धरथी आत्मा संबंधी विकल्पो मुमुक्षुदशामां आवे तेनो शो अर्थ छे? FLV FLV (Unknown)
206 'अमने आ गुरु साचा मळ्या त्यार पछी जिज्ञासा जागी छे' FLV FLV (Unknown)
207 आलोचना अधिकारमां समभाव-समताभाव आवे छे. FLV FLV (Unknown)
208 ''पर्यायद्रष्टिथी संसार छे अने द्रव्यद्रष्टिथी मोक्ष अने वीतरागता छे'' FLV FLV (Unknown)
209 पर्यायने पोतानी माने छे पर्याय तो पोतानो ज अंश छे पछी एना माटे आटली बधी सजा? FLV FLV (Unknown)
210 द्रव्यद्रष्टि कर्या विना पर्यायनो आश्रय छूटे? FLV FLV (Unknown)
211 ज्ञानीना बधा भाव ज्ञानमय अने अज्ञानीना बधा भाव अज्ञानमय एम केम? FLV FLV (Unknown)
212 'ॐ' नो अर्थ समजावशो? FLV FLV (Unknown)
213 श्रीमदजीना पुस्तक प्रकाशन विषे वातचीत FLV FLV (Unknown)
214 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल १६२ विषे FLV FLV (Unknown)
215 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुतमां ब्र.चंदुभाइ तथा मामानी महेनत FLV FLV (Unknown)
216 पुज्य गुरुदेवश्रीनी वाणीनो प्रवाह सारी रीते बराबर चालु रहे FLV FLV (Unknown)
217 सम्यग्दर्शनथी ज बधी सिद्धि! FLV FLV (Unknown)
218 सम्यग्दर्शन ऐटले पोताना स्वरुपनुं दर्शन? FLV FLV (Unknown)
219 पुज्य गुरुदेवश्रीना वचनाम्रुत बोल २१८मां आवे छे एकला विकल्पथी तत्त्वविचार कर्या FLV FLV (Unknown)
220 नियमसार प्रतिक्रमण अधिकारमां (गाथा २२मां आवे छे तेम) FLV FLV (Unknown)
221 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल ९४मां आवे छे "शुद्धात्माना अनुभवमां मुख्यपणे राग-द्वेषना कर्ता के भोकता नथी FLV FLV (Unknown)
222 श्रीमदजीमां आवे छे के ज्यांसुधी अस्तित्व भास्युं नथी FLV FLV (Unknown)
223 गुरुदेवश्रीना वचनाम्रुत बोल नं.१७० मां आवे छे के "केवळ एक गुणनुं परिणमन थतुं नथी FLV FLV (Unknown)
224 बधा गुणोथी जुदो द्रव्यस्वभाव केवी रीते ग्रहण करवो? FLV FLV (Unknown)
225 पर्यायनो आश्रय द्रव्य छे एम न मानीने ने पर्याय ने स्वतंत्र मानवाथी शो दोष आवे? FLV FLV (Unknown)
226 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं.२१३मां आवे छे के आत्मा पोताना षट्कारकरुपे परिणमे छे FLV FLV (Unknown)
227 ज्ञानीने अविधा-रागादि कांइ नुकशान करी शकता नथी. FLV FLV (Unknown)
228 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत(बोल नं २)मां "सम्यगद्रष्टि बधा जीवोने जीनवर जाणे छे FLV FLV (Unknown)
229 ज्ञायकने यथार्थ ओळखीने अथवा निर्णय करी FLV FLV (Unknown)
230 'हुं अखंड ज्ञायकमुर्ति छु' FLV FLV (Unknown)
231 ज्ञायकनुं ग्रहण कर्यु होय तेनी बाह्य प्रवुतिमां कांइ फरक देखाय के नही? FLV FLV (Unknown)
232 अआवो उपदेश सांभळी व्रुतिमां मगबूताइ केम आवती नथी? FLV FLV (Unknown)
233 सशुं ज्ञानीनो कोइ पण दोष देखाय तो तेना प्रत्येनो ते अविनय गणाय? FLV FLV (Unknown)
234 पुज्य गुरुर्देवश्रीनो मार्ग सारी रीते चालु रहे ते माटे शुं करवुं? FLV FLV (Unknown)
235 सत्संग-वैराग्य वगेरे साधक केवीरीते? ने बाधक केवी रीते? FLV FLV (Unknown)
236 ज्ञानीने श्रद्धामां विकारनो निषेध छे,तेम विक्लपमां पण निषेध आवे खरो? FLV FLV (Unknown)
237 वचनाम्रुतमां आवे छे के "सम्यग्द्रष्टिने राग होय छे पण तेनो रस नीतरी गयो छे'' FLV FLV (Unknown)
238 आत्मामां सुख भर्यु छे तेनो निर्णय करवानी रीत शी? FLV FLV (Unknown)
239 ज्ञाननो स्वभाव अनंतो छे ए तो अनंता ज्ञेयो परथी ख्यालमां आवे छे FLV FLV (Unknown)
240 समयसारनी प्रथम गाथा श्री गुरु "अनंता सिद्धोने पोताना आत्मामां FLV FLV (Unknown)
241 अंतरमां मनोमंथन करी व्यवस्थित निर्णय करवामां शुं FLV FLV (Unknown)
242 शुभचंद्राचार्य ज्ञानाणवमे कहते है "जहा अम्रुत तो विषके मिए हो FLV FLV (Unknown)
243 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुतमां आवे छे "आकुळ्तानुं वेदन छे ते अवगुणनुं वेदन छे' FLV FLV (Unknown)
244 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुतमां आवे छे "शास्त्र तो भाना कागळ छे तेने उकेलता शीखवुं जोइए..'' FLV FLV (Unknown)
245 अआ जीवने पर्यायनी ओळख छे अने पोताना स्वभावनी ओळखाण नथी FLV FLV (Unknown)
246 उपदेशमां एम आवे के पोताना नाना अवगुणने पण पर्वत जेवा देखावा FLV FLV (Unknown)
247 परमागमसारमां "ज्ञानमां विभावरुप परिणमन नथी'' FLV FLV (Unknown)
248 पुज्य गुरुदेवश्री फरमावता के "जेनाथी लाभ माने तेने पोतानुं मान्या विना रहे नही. FLV FLV (Unknown)
249 भक्ति अने भेदज्ञानने मेळ छे? FLV FLV (Unknown)
250 अज्ञानीने पहेलां बेद्रुप ख्याल होय के आ विकार पाछ्ळ ज्ञान छे FLV FLV (Unknown)
251 अस्तित्वनुं भावभासन थाय के वेदनमां आवे? FLV FLV (Unknown)
252 जिज्ञासु दशामां पण यथार्थ निर्णय करी शके छे? FLV FLV (Unknown)
253 सम्यकज्ञान प्रगट करवा माटे भेदज्ञाननी वात आवे छे FLV FLV (Unknown)
254 पात्र जीवना मुख्य लक्षण संबंधी मार्गदर्शन आपशो? FLV FLV (Unknown)
255 एक समयनी ज्ञाननी पर्याय ने कोइ वखत ज्ञेय कहेवामां आवे छे FLV FLV (Unknown)
256 आ खुलासो बहु सरस छे FLV FLV (Unknown)
257 पुज्य गुरुदेवश्रीनां प्रथम दर्शन आपने संप्रदायमां क्यारे थयेला? FLV FLV (Unknown)
258 समयसार अने प्रवचनसार...पुज्य गुरुदेवश्री पासेथी बहु सांभळ्युं FLV FLV (Unknown)