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धर्मीने ज्यारे स्वमां उपयोग होय त्यारे धर्म होय. पण उपयोग परमां होय त्यारे धर्म होय के नही? |
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(Unknown)
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92 |
(ज्ञानी ने) परिणतिमां आनंदनुं वेदन आवतुं हशे? |
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(Unknown)
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93 |
स्वानुभूति थतां जीवने केवो साक्षात्कार थाय? आवी स्वानुभूति प्राप्त करवा जीवे शुं करवुं? |
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(Unknown)
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94 |
आत्मानुभूतिनुं वर्णन वचनमां आवी शके तेवुं नथी छतां पण साक्षात्कार विशे थोडो घणो प्रसाद आपशो? |
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(Unknown)
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95 |
"कोइपण कार्यमां बहु सोच करवा योग्य नथी'-श्रीमदजीना वाक्यो.. |
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(Unknown)
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96 |
द्रश्यने अद्रश्य कर अने अद्रश्य ने द्रश्य कर तेवा ज्ञानी पुरुष..." |
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(Unknown)
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97 |
सनातन धर्म ऐटले शुं? |
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(Unknown)
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98 |
साचुं सुख शामां छे? |
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(Unknown)
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99 |
ज्ञानीनी कथन पद्धतिनी विविक्षा विषे.. |
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(Unknown)
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100 |
पृथक्त्व तथा अन्यत्वमां शो तफावत छे? |
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(Unknown)
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