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| 91 | धर्मीने ज्यारे स्वमां उपयोग होय त्यारे धर्म होय. पण उपयोग परमां होय त्यारे धर्म होय के नही? |
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(Unknown)
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| 92 | (ज्ञानी ने) परिणतिमां आनंदनुं वेदन आवतुं हशे? |
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(Unknown)
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| 93 | स्वानुभूति थतां जीवने केवो साक्षात्कार थाय? आवी स्वानुभूति प्राप्त करवा जीवे शुं करवुं? |
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(Unknown)
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| 94 | आत्मानुभूतिनुं वर्णन वचनमां आवी शके तेवुं नथी छतां पण साक्षात्कार विशे थोडो घणो प्रसाद आपशो? |
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(Unknown)
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| 95 | "कोइपण कार्यमां बहु सोच करवा योग्य नथी'-श्रीमदजीना वाक्यो.. |
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(Unknown)
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| 96 | द्रश्यने अद्रश्य कर अने अद्रश्य ने द्रश्य कर तेवा ज्ञानी पुरुष..." |
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(Unknown)
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| 97 | सनातन धर्म ऐटले शुं? |
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(Unknown)
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| 98 | साचुं सुख शामां छे? |
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(Unknown)
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| 99 | ज्ञानीनी कथन पद्धतिनी विविक्षा विषे.. |
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(Unknown)
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| 100 | पृथक्त्व तथा अन्यत्वमां शो तफावत छे? |
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(Unknown)
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