श्री कुन्दकुन्दप्रवचनमण्डप

श्री कुन्दकुन्दप्रवचनमण्डप

श्री कुन्दकुन्दप्रवचनमण्डप

परम तारणहार पूज्य सद्-गुरूदेवश्री कानजीस्वामीका प्रभावनायोग शीघ्रातिशीघ्र वृद्धिगत हो रहा था। परम पूज्य गुरूदेवश्रीके भक्तोंका प्रवाह बढ़ता ही जा रहा था। प्रसंगों पर स्वाध्यायमंदिरका कक्ष छोटा पड़ने लगा। अतः एक बड़े प्रवचनकक्ष बनानेका निर्णय किया गया। वि.सं.2001(ई.स.1945) में इंदौरके सर सेठ हुकमचंदजीका सुवर्णपुरीमें आनेका योग बना। सर हुकमचंदजीके द्वारा शिलान्यास विधि कराई गई। वे यहाँके आध्यात्मिक वातावरणसे बड़े प्रभावित हुए। अतः इस कक्षका उद्-घाटन भी उन्हींके हाथों वि.सं. 2003(ई.स.1947)में किया गया।

बिना स्तंभयुक्त 50’ x 100’ के इस कक्षमें पूज्य गुरूदेवश्रीकी मंगल वाणी गूँजती तो संपूर्ण भरे हुए कक्षके श्रोतागण अत्यंत प्रमुदित हो जाते। कक्षकी दिवारों पर सुंदर पौराणिक चित्रावलि अंकित की गई है। बहुत वर्षों तक प्रवचनके लिए उत्सवोंमें पूज्य गुरूदेवश्री यहाँ ही पधारते थे।

पूज्य गुरूदेवश्रीकी स्मृतिमें एक स्मृति-स्मारक बनानेका जब विचार उपस्थित हुआ तब पूज्य भगवती माताने एवं ट्रस्टने इसी कक्षमें आयोजन करनेका विचार किया। पूरे कक्षमें 144 चित्र पूज्य गुरूदेवश्रीका जीवन परिचय देते हुए सजाए गये हैं। उत्तर दिशासे प्रवेश करते ही 4 x 6 के बडे चित्रमें पूज्य गुरूदेवश्री कुंदकुंद भगवानके दर्शन करते दिखाए गये हैं। पीछेकी ओर अमृतचंद्राचार्य एवं पद्मप्रभमलधारि -देव हैं। पश्चिममें कहानगुरूदेवका मुख्य फोटो, उनकी स्तुति आदि हैं। उमराला जन्मधाम, दीक्षा समयकी स्वर्णमयी लिखित पत्रिका, दीक्षाकाल, दिगंबर धर्मकी स्वीकृति ‘Star of India’ में, कहानगुरू जीवनदर्शनके सुंदर 12 चित्रोंमें पूरा जीवन, स्वाध्यायमंदिर उद्-घाटनका प्रसंग, पूज्य बहिनश्री समयसार हाथमें लिए जुलुसमें, सर हुकमचंदजी, सर पट्टणी, भावसिंहजी दरबार (तत्त्कालीन भावनगरके राजा) सुवर्णपुरीके जिनायतन, परम पूज्य गुरूदेवश्रीकी विभिन्न मुद्राएँ, यात्रा प्रसंग, हस्ताक्षर, अभिनंदन पत्र आदि अनेक प्रसंग प्रदर्शित हैं। बड़े-बड़े टेबल पर बहुत बडे चित्र रमणीय लगते हैं। दिवारों पर श्री समयसार, श्री प्रवचनसार आदि पंच परमागमके हरिगीत जो पं.हिम्मतभाई शाह द्वारा रचित हैं वे संगमरमरके शिलापट्टों पर उत्कीर्ण हैं।

कहीं पूज्य गुरूदेवश्रीके हस्ताक्षर, कही दिनचर्या, कहीं उनके हाथसे प्रतिष्ठित जिनमंदिर दिखाए गए हैं। कहान-गुरू प्रभावना दर्शनमें पूज्य गुरूदेवश्रीके जीवनदर्शनका सुंदर इतिहास प्रस्तुत किया गया है, जिसका संपूर्ण आयोजन पूज्य भगवती बहिनश्री चंपाबेनने अपने गुरूभक्तिके भावोंसे किया है।

प्रवचनमंडप सुविशाल अहा, गुरू प्रभावनाका स्मारक है।, पौराणिक चित्रावलि अंकित, पंच परमागम हरिगीत रचे।।