पुज्य बहेनश्रीनी अम्रुतवाणी

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131 मुनिराजो जे जंगलमां बेठा छे-बधुं छोडीने बेठा छे FLV FLV (Unknown)
132 जातिस्मरण विषे... FLV FLV (Unknown)
133 पुज्य गुरुदेवश्रीए स्वघरमां जवानुं कह्युं छे, पण ते तरफ एक मिनिट पण उपयोग जाय FLV FLV (Unknown)
134 "गंभीर तारी वाणीमां...जे ह्रदय तारुं जाणता,ते भाव तारो खेचता" ते संबंधी.. FLV FLV (Unknown)
135 आत्मामां केवळज्ञान सत्तारूपे छे अने आत्मामां केवळज्ञान शकितरुपे छे FLV FLV (Unknown)
136 श्रीमदजीमां आवे छे के "चोथा गुण्स्थान पहेलां उपदेशकपणुं होवुं न जोइए" FLV FLV (Unknown)
137 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत (बोल नं.७६) आवे छे के 'ज्ञानीनुं आंतरिक जीवन समजवा अंतरनी पात्रता जोइए; FLV FLV (Unknown)
138 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत (बोल नं.५३)मां आवे छे "पुरुषार्थ हीन थइने द्रव्यानुयोगनी वातो करे छे FLV FLV (Unknown)
139 (आत्मा) स्वभावे शुद्ध छे अने राग योग्यता प्रमाणे थया करे छे? FLV FLV (Unknown)
140 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं ४१मां आवे छे के समयसार आगमो पण आगम छे .. FLV FLV (Unknown)