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151 | (जीव) बहारनुं कार्य करवानो पुरुषार्थ घणा करे छे. |
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152 | पुरुषार्थ मात्र स्वभाव सन्मुखनो करवो के पुरुषार्थमां मोहने टाळवानी पण अमारी भागे जवाबदारी खरी? |
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153 | स्वभावने कइ रीते ओळखवो? |
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154 | जीव एकळो पोते पोताना पुरुषार्थथी काम करे छे तेम लिइये तो पछी |
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155 | बधी जवाबदारी जीवनी छे.पोते बधुं करवानुं छे. ऐ वात स्वीकारी लीधी छे |
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156 | पुज्य गुरुदेवश्रीइ समजण करावी पण रुची-लीनता करवामां गुरुदेवनी मदद |
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157 | विक्लप आवे ते वखते आवी रीते करवानी वात छे |
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158 | विक्लपनी भुमिका वखते वच्चे जे प्रमाणमां थोडुं घणुं भावभासन जेवुं थाय |
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159 | भावभासनमां शुं थतुं हशे? |
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160 | भावभासननी परिणतिने ज्ञानीनी सविकल्पदशानी परिणति साथे सरखावी शकाय? |
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