181 |
आकरी प्रतिकूता वखते तथा कोइ कठोर मर्मच्छेदक वचन कहे,त्यारे देहमां स्थित परमात्मानुं ध्यान करीने |
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(Unknown)
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182 |
श्रीमदजीमां आवे छे 'सत्पुरुषमां परमेश्वर बुद्धि थवाथी सर्व प्राणीओ प्रत्ये दासत्य आवी जाय छे |
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(Unknown)
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183 |
अधमाधम अधिको पतित हुं...उगे न आत्म विचार. |
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184 |
ज्ञान अने कषायनुं भेदज्ञान केवी रीते थाय? |
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(Unknown)
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185 |
तत्वनो विचारपुर्वक करेल निर्णय के मारुं सुख मारामां छे. |
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(Unknown)
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186 |
पुज्य गुरुदेवश्रीना वचनाम्रुत १५६-१५७ बोलमां शो फरक छे? एकला विक्ल्पथीना तत्त्वविचार करवाथी कंइ सम्यग्दर्शन पमातुं नथी. |
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(Unknown)
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187 |
विकल्पात्मक निर्णय कर्या होवा छतां अनुभव केम थतो नथी? |
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(Unknown)
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188 |
पुज्य गुरुदेवश्रीके प्रवचनमे आता है,'ज्ञानीको रागका बंध नहि होता है |
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(Unknown)
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189 |
रागनी पर्याय जणाय छे अने साक्षात् वेदनमां आवे छे अने जे जणातो नथी |
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(Unknown)
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190 |
(पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल न.२३६)'जेने जेनी रुचि होय छे ते तेनी वारंवार भावना भावे छे |
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(Unknown)
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