पुज्य बहेनश्रीनी अम्रुतवाणी

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191 आत्मा श्रद्धा अपेक्षाए त्रिकाळीने विषय करे अने ज्ञान वडे त्रिकाळीने विषय करे तेमां कांइ अंतर? FLV FLV (Unknown)
192 द्रव्य-गुण-पर्यायमां आखा ब्रह्मांडनुं तत्त्व आवी जाय छे FLV FLV (Unknown)
193 कोइ ठेकाणे एम आवे छे के विभाव उपर-उपर तरे छे.तेनो अर्थ छे? FLV FLV (Unknown)
194 दरेक द्रव्य पोताना गुण-पर्यायरुपे परिणमे छे...तेमां बे द्र्व्य वच्चेनी स्वतंत्रतानी वात आवी FLV FLV (Unknown)
195 पुज्य गुरुदेवश्री ना वचनाम्रुत मां(बोल नं. २५४)आवे छे "स्वभावना लक्षे सत्य आवे FLV FLV (Unknown)
196 कोइ जीवोने निर्णय द्रढता होय छे FLV FLV (Unknown)
197 हुं ज्ञायक छुं ए भावमाम 'हुं' अने 'ज्ञायक' बन्ने एक साथे होइ शके? FLV FLV (Unknown)
198 घणा शास्त्रोनो अभ्यास करे व्रत तप करे तो पण ते सम्यकत्वनो अधिकारी नथी FLV FLV (Unknown)
199 पहेलां ज्ञान जुदुं पडतुं न हतुं, राग ने ज्ञान बधुं भेळ्सेळपणे ख्यालमां आवतुं हतुं FLV FLV (Unknown)
200 तत्व समजवाना विचारमां जे शुभभाव सहज आवे छे FLV FLV (Unknown)