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201 | परवस्तुने हुं करी शकुं छुं एम जेणे मान्युं छे |
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202 | जिज्ञासुने पण भक्तिनो भाव होय छे? |
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203 | पुरुषार्थमां वेग मणे एवो मंत्र आपो जेथी अमे पार ऊतरी जइए. |
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204 | 'पूर्णताना लक्षे शरुआत ते ज वास्तविक शरुआत छे' |
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205 | अध्धरथी आत्मा संबंधी विकल्पो मुमुक्षुदशामां आवे तेनो शो अर्थ छे? |
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206 | 'अमने आ गुरु साचा मळ्या त्यार पछी जिज्ञासा जागी छे' |
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207 | आलोचना अधिकारमां समभाव-समताभाव आवे छे. |
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208 | ''पर्यायद्रष्टिथी संसार छे अने द्रव्यद्रष्टिथी मोक्ष अने वीतरागता छे'' |
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209 | पर्यायने पोतानी माने छे पर्याय तो पोतानो ज अंश छे पछी एना माटे आटली बधी सजा? |
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210 | द्रव्यद्रष्टि कर्या विना पर्यायनो आश्रय छूटे? |
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