पुज्य बहेनश्रीनी अम्रुतवाणी

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221 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल ९४मां आवे छे "शुद्धात्माना अनुभवमां मुख्यपणे राग-द्वेषना कर्ता के भोकता नथी FLV FLV (Unknown)
222 श्रीमदजीमां आवे छे के ज्यांसुधी अस्तित्व भास्युं नथी FLV FLV (Unknown)
223 गुरुदेवश्रीना वचनाम्रुत बोल नं.१७० मां आवे छे के "केवळ एक गुणनुं परिणमन थतुं नथी FLV FLV (Unknown)
224 बधा गुणोथी जुदो द्रव्यस्वभाव केवी रीते ग्रहण करवो? FLV FLV (Unknown)
225 पर्यायनो आश्रय द्रव्य छे एम न मानीने ने पर्याय ने स्वतंत्र मानवाथी शो दोष आवे? FLV FLV (Unknown)
226 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत बोल नं.२१३मां आवे छे के आत्मा पोताना षट्कारकरुपे परिणमे छे FLV FLV (Unknown)
227 ज्ञानीने अविधा-रागादि कांइ नुकशान करी शकता नथी. FLV FLV (Unknown)
228 पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुत(बोल नं २)मां "सम्यगद्रष्टि बधा जीवोने जीनवर जाणे छे FLV FLV (Unknown)
229 ज्ञायकने यथार्थ ओळखीने अथवा निर्णय करी FLV FLV (Unknown)
230 'हुं अखंड ज्ञायकमुर्ति छु' FLV FLV (Unknown)