241 |
अंतरमां मनोमंथन करी व्यवस्थित निर्णय करवामां शुं |
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(Unknown)
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242 |
शुभचंद्राचार्य ज्ञानाणवमे कहते है "जहा अम्रुत तो विषके मिए हो |
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(Unknown)
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243 |
पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुतमां आवे छे "आकुळ्तानुं वेदन छे ते अवगुणनुं वेदन छे' |
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(Unknown)
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244 |
पुज्य गुरुदेवश्रीनां वचनाम्रुतमां आवे छे "शास्त्र तो भाना कागळ छे तेने उकेलता शीखवुं जोइए..'' |
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(Unknown)
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245 |
अआ जीवने पर्यायनी ओळख छे अने पोताना स्वभावनी ओळखाण नथी |
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(Unknown)
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246 |
उपदेशमां एम आवे के पोताना नाना अवगुणने पण पर्वत जेवा देखावा |
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(Unknown)
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247 |
परमागमसारमां "ज्ञानमां विभावरुप परिणमन नथी'' |
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(Unknown)
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248 |
पुज्य गुरुदेवश्री फरमावता के "जेनाथी लाभ माने तेने पोतानुं मान्या विना रहे नही. |
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(Unknown)
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249 |
भक्ति अने भेदज्ञानने मेळ छे? |
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(Unknown)
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250 |
अज्ञानीने पहेलां बेद्रुप ख्याल होय के आ विकार पाछ्ळ ज्ञान छे |
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(Unknown)
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