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द्रष्टिमां आत्मा रहे ऐटले शु? आखो दिवस त्यां ज उपयोग रहे? |
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(Unknown)
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आवुं (निश्चय अने व्यवहारनुं यथार्थ स्वरूप )समजवाथी आत्मानी तीखी रूचि कइ रीते थाय |
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(Unknown)
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(निश्चय अने व्यवहारनुं यथार्थ स्वरूप जांणतो) आमाम साथे साथे उपकारी सत्पुरूषनो महिमा आवी जाय छे? |
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(Unknown)
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आगममां ठेर ठेर सम्यग्दर्शनना लक्षण तरीके सात तत्वना यथार्थ श्रद्धानने ज महत्व आप्युं छे |
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(Unknown)
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ज्ञानीनी दशा..ज्ञानीना सहज पुरुषार्थ विषे पुज्य बहेनश्रीना सहज उदगार |
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(Unknown)
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जेम ज्ञान अने चारित्र कहेता कोंइ तेनो आछो पातळो भाव पकडाय छे |
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(Unknown)
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ज्ञानीने सन्यग्दर्शनमां अंतरंग निमित्त कहेवाय छे तेमां शो आशय छे? |
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(Unknown)
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भेदज्ञान जे थाय छे ते सामान्य राग परिणितिथी थाय छे ? के उढतां विकल्पोथी थाय छे? |
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(Unknown)
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39 |
ज्ञायकधारानी शरूआत छे ते प्रयत्नपुर्वकना विकल्पथी ज थाय छे? |
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(Unknown)
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40 |
'भेदज्ञान त्यां सुधी भाववुं के ज्यां सुधी ज्ञान ज्ञानमां स्थित न थाय' ते समजावशो |
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(Unknown)
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