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| 51 | जीवने निरंतर साक्षीभावे वर्तमानमां परना अकर्तापणानो सिद्धांत ज मुख्यपणे काम करे छे |
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(Unknown)
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| 52 | "अंजनचोरे शेठना वचनने प्रणाण मानी सिद्धि प्राप्त करी" |
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(Unknown)
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| 53 | ऐकवार अनुभूति प्राप्त थया पछी शुं जीव धारे त्यारे निर्विकल्प थइ शके खरो? |
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(Unknown)
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| 54 | परमात्म तत्व विषे ध्यानावलीओ होवानुं शुद्धनय कहेतो नथी तेनो शो अर्थ छे? |
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(Unknown)
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| 55 | स्वरूपनुं ज्ञान अने श्रद्धान शुरूआतथी साथे साथे चाले छे के ऐमां कोइ क्रम छे? |
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(Unknown)
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| 56 | सम्यक्श्रद्धान अने ज्ञान बन्ने साथे साथे छले छे ते तो बराबर छे, |
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(Unknown)
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| 57 | पुज्य गुरुदेवश्रीनो उपदेश जिज्ञासा अने भावनाथी सांभळ्यो के "हुं एक ज्ञायक छु |
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(Unknown)
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| 58 | आ काळमां जीवो अंति स्थुळ बुद्धिवाळा छे, आथी तेओ कइ रीते राग अने आत्मानुं भेदज्ञान करी शके? |
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(Unknown)
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| 59 | बंध मोक्षनुं कारण अने बंध मोक्षना परिणाम सम्यग्दर्शननो विषयभूत आत्मा शुन्य छे |
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(Unknown)
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| 60 | पर्यायने अंतरमां वाळवी अने गुणगुणीना भेदने तिरोधान करवानो जे उपदेश छे |
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(Unknown)
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