71 |
राग अने ज्ञान जुदा छे ऐटलुं जाणे तो ते पूरतुं थइ रहे |
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(Unknown)
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72 |
सम्यग्दर्शन-चारित्र-सर्वज्ञदेव-त्रिकाळी स्वभाव आ चार विषे.. |
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(Unknown)
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73 |
सम्यग्दर्शन धर्मनुं मुळ छे के चारित्र ते खरेखर धर्म छे? |
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(Unknown)
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74 |
जीवने सुख जोइऐ छे, तो चैतन्यनी मुळ ऋद्धि सुख छे के ज्ञान छे? |
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(Unknown)
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75 |
सम्यगज्ञानीने निरंतर ज्ञानधारा होय छे.उपयोग बहारमां होइ त्यारे पण भेदज्ञाननी धारा चालु छे |
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(Unknown)
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76 |
अनंतकाळथी जे सम्यग्दर्शन पाम्या नहि, ते पामवा माटे तो अत्यारे पुरुषार्थ क्यांथी काढवो? |
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(Unknown)
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77 |
शुद्धात्मानुं अवलंबन अभिप्रायमां थाइ छे? ज्ञानमां रहे छे? |
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(Unknown)
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78 |
ऐकवार अनुभूति प्राप्त थया पछी नय,निक्षेप,प्रमाणनी कांइ जरुर खरी? |
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(Unknown)
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79 |
श्रीमदजीऐ कह्युं छे के "सत्संग विना ध्यान तरंगरुप थइ जाय छे" |
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(Unknown)
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80 |
आजनो दिवस महामंगळ छे, आजे आपे शुद्धात्मस्वरुपी भगवान आत्माना साक्षात् दर्शन कर्या |
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(Unknown)
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